शाह बोले: इज़राइल ने हमला किया, अब मैं सत्ता में आऊंगा!

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

रेजा पहलवी, जो कभी ईरान के तख्तो-ताज के वारिस थे और अब अमेरिका में CNN की स्क्रीन के, ने एक बार फिर खामनेई हुकूमत को खुली चुनौती दे डाली है। इंटरव्यू में उन्होंने कहा – “यह सत्ता परिवर्तन का ऐतिहासिक अवसर है।”
मतलब: जब इज़राइल मिसाइल भेजे, तो पहलवी ट्विटर पोस्ट भेजते हैं। अब जंग का मैदान और ट्विटर ट्रेंड एक साथ तय करेंगे कि अगला शाह कौन होगा।

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इज़राइल ने हमला किया, पहलवी ने प्लानिंग टेबल खोल दी

इज़राइल द्वारा ईरान की सैन्य ठिकानों पर ताबड़तोड़ हमलों से जहां तेहरान का शासन हिला, वहीं पहलवी साहब को लगा – “अब तो Game of Thrones शुरू हो गया है।”
रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के सीनियर अफसरों की मौत और जनता में उबाल देखकर उन्होंने सत्ता परिवर्तन की स्क्रिप्ट फिर से निकाल ली है।
मतलब – जब देश जल रहा हो, तो ताज पहनने का टाइम परफेक्ट होता है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील: “ट्वीट करना बंद करो, टैंक भेजो”

रेजा पहलवी का मानना है कि केवल Economic Sanctions से सरकारें नहीं गिरतीं – थोड़ा और “Action Thriller” चाहिए। उन्होंने अमेरिका और यूरोप से अपील की कि “आप लोकतंत्र के इतने दीवाने हैं, तो अब कुछ कर भी लीजिए।”
सीधा संदेश: “अगर आप लोग लोकतंत्र के फैन हो, तो अब शो का प्रोड्यूसर भी बनो।”

इज़रायल दौरा: Selfie के बहाने सत्ता का Trailer

पहलवी साहब पहले ही इज़रायल जा चुके हैं – वो भी बिना किसी सैन्य हेलिकॉप्टर के। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, ये यात्रा “हम नए दोस्त बना रहे हैं” का खुला संदेश थी। जैसे कोई Ex बॉयफ्रेंड को जलाने के लिए इंस्टा स्टोरी डाल दे – वैसे ही खामनेई को इरिटेट करने का डिप्लोमैटिक तरीका।

ईरान की जनता: वोट चाहिए, वॉट्सऐप नहीं

हालांकि ईरान में इंटरनेट कभी चलता है, कभी सरकार बंद कर देती है – लेकिन युवा अब जागरूक हैं। रेजा पहलवी का मानना है कि “नई पीढ़ी डेमोक्रेसी चाहती है, दीवारों पर नारे नहीं।”
लेकिन जनता भी सोच रही है – “शाह जाएं तो खामनेई आए, खामनेई जाएं तो फिर शाह ही क्यों आएं?”

नया ईरान या Netflix का अगला सीज़न?

रेजा पहलवी लोकतंत्र की बात कर रहे हैं, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि बिना तैयारी के बदलाव केवल गृह युद्ध को न्योता होगा।
मतलब – “शाह की वापसी” का सपना कहीं “Syria पार्ट 2” न बन जाए।
आम आदमी की स्थिति अभी यही है – “एक तरफ बंदूकें, दूसरी तरफ भाषण – और बीच में महंगाई का तूफ़ान।”

शाह साहब ने कहा – “मैं तैयार हूं”, जनता बोली – “हम भी देख रहे हैं”

रेजा पहलवी का ये बयान केवल तेहरान के लिए नहीं, वॉशिंगटन और तेल अवीव के लिए भी एक संकेत है – “बदलाव का समय है, बस मेरी क्राउन साइज दोबारा नाप लो।”
लेकिन दुनिया भी अब थोड़ी प्रैक्टिकल हो गई है – वो पूछ रही है, रेजा साहब, आपकी बात तो समझ में आई… लेकिन क्या आपका तख्त साथ में WiFi और न्यायपालिका भी लाएगा?

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